पीछे ना मुड़ कर देखा, वो निशान जिस पर हम चले, छाप अब भी बाकी है, तेरे निशान धड़कनों में ढूंढने को- एक डोर ही काफी है... ना चाहिए- रेहेम-ए-इश़्क जिसे सब कहते यहाँ, है फौलादी अब ये हिम्मत, तुझसे जुड़कर जो बनी हसरत मेरी... ना थी दोस्ती ना थी कोई यारी कभी, देखते ही देखते दिल ने जो की तमन्ना तेरी.., क्या खूब कहूँ ये कहानी, ना सैलाब बचा, ना हुजूम किस्से का, अब तो बस मै और मेरी तन्हाई, बाटें है जीवन के दर्द कई... DQ : 016 #yqdidi #yqbaba #yqhindi #yqurdu #tanhai #safar #rashte