My Dear Diary मै क्यों कहूं नया साल मुबारक बदले तो दो अक्षर ही है, देश के हालात तो नहीं... आज भी वहीं देश के हालात है, कुछ अपने ही अपनों के खिलाफ है... देश को दुबारा बांटने का सिलसला फिर से है चल रहा वैर नफरत जात पात का गंदा कीड़ा दिलों में है पल रहा है कही कुरान सड़ रही है, कही संविधान सड़ रहा है तो कही सड़ रही है बेटी... इस बार कोई न्यी सौगात तो नहीं... मै क्यों कहूं नया साल मुबारक बदले तो दो अक्षर ही है, देश के हालात तो नहीं....#Dkk Mai kyu khu nya saal mubarak#Poem