वो रूठी मुझसे ऐसे ,जैसे धरती से रूठे थे सावन, कह गई मुझसे अब आना नए अफसाने लिए, अब इन अल्फाजों में वो बात नहीं, तुम्हारे इश्क में वो राग नही, वो कल कल करते पानी के जैसी अब खनक सी नही, ये मद्धम सा रूठा दिल उसे कहता है , ऐ मेरे रूठे हमराही , नए अफसाने लेकर में तुम्हारे ओर आ भी जाऊ , पर इन अल्फाजों को में बदल नही सकता, ये बेफिक्रे अल्फाज अभी भी उस धुन में खोए है, जिस धुन में तुमने कभी इस इश्क का जिक्र करा था , न जाने क्यों इन अल्फाजों में वो बात नही, पूछा मैंने इन चांदनी रातों से ये सवाल और वो कह गई, वक्त बदला पर तू ना बदला, तेरा इश्क सच्चा था , पर यकीन करने वाला थोड़ा कानो का कच्चा था, ©Neeraj Vishwakarma #bharatband