खलकत"ए"खुदा से,खुराफात की है, खोफ"ए"खुदा, नहीं है, ऐसी बात की है ll अब उजालों को ढूंढते- ढूंढते मरोगे, जिनके दिनों की तुमने, काली रात की है ।। हर जीव में,भावना होती है,सकूं से जीने की, पर तुम्हें कहां क़दर,किसी के जज़्बात की है ।। ए इंसान तोबा कर,की कुछ मुआफी मिले, सजा बड़ी है वैसे,जो कुदरत की हालात की है ।। कब तक देखता वो तुम्हारी, ना फरमानियां, कोई उंगली करता है, अरे तुमने तो लात की है ।। वो वक्त देता है संभलने का, नेक बन जाओ, नहीं तो पढ़ खुदा ने, सदौम की जो हालत की है, लगाकर तड़का ,मछली ,चूहे,कुत्ते, बिल्ली, का, सजा तो मिलेगी ए राक्षस,तूने जो ,दावत की है ।। चाहे हलाल हो ,या झटका,या जीभ का चटका, "जोगा "जीवों को काटके ,मौत की शुरुआत की है।। "जोगा भागसरिया " ZOGA BHAGSARIYA RAJASTHANI KAFIR ZOGA GULAM खलकत"ए"खुदा से,खुराफात की है, खोफ"ए"खुदा, नहीं है, ऐसी बात की है ll अब उजालों को ढूंढते- ढूंढते मरोगे, जिनके दिनों की तुमने, काली रात की है ।। हर जीव में,भावना होती है,सकूं से जीने की, पर तुम्हें कहां क़दर,किसी के जज़्बात की है ।।