ये साल भी कुछ यूँ गुज़रा कुछ अच्छा न हुआ ईद आयी और चाँद का दीदार न हुआ बैठे थे आस के झरोखों के तले तेरा सज़दा भी तो मस्जिद में न हुआ कैसे निवाला उतरे हलक के अंदर ज़मींदोज़ होना लोगों का कम न हुआ खौफ है तेरी रज़ा से अल बसीर सोचा था अनुज जैसा तू वैसा न हुआ अल बसीर = सब कुछ देखने वाला, अल्लाह OPEN FOR COLLAB✨ #ATeidspecialbgpic • A Challenge by Aesthetic Thoughts! 🌹 Collab on this Eid special BG your soulful words.✨ • Must use hashtag: #aestheticthoughts