मैं तो दोस्ती कभी चाहती ही नहीं थी, दुसरो कि दोस्ती से मुझे कुछ महसुस भी नहीं होता था, तुमने ही सारी शुरुआत कि, तुमने ही दोस्ती की उम्मीदें दी। मे तो सोचती भी नहीं थी किसीसे दोस्ती का,बस लोगों ने ही हमारी दोस्ती हैं कि चर्चा शुरू की,फिर अपनेआप हमारी दोस्ती की डोर बंधती गई, हमने दोस्ती कि तो इस बार कोशिश भी नहीं कि। ©Urvisha Parmar #अनचाही_दोस्तीकी_शुरुआत_1 #friends