शारीरिक क्षमता के अनुकूल भार उठाने के आदी मनुष्यों को, ज़िंदगी नहीं देती है लाभ कि वो चुन सके अपने अनुकूल मानसिक भार, और न ही दिया जाता है इस अप्रत्याशित भार को उठाने का कोई विशिष्ट प्रशिक्षण, स्वयं ही सीखना पड़ता है अलग-अलग भार को उठाने और खुद को संभालने का तौर-तरीका, . मगर, ऐसे सभी भारों में मैंने सदैव ही सबसे कठिन पाया है, संभालना, किसी के चले जाने के बाद उनकी यादों का "भार"। वैसे तो लोग कहते हैं कि समय के साथ ये भार कम हो जाता है, मगर मुझे लगता है कि लोग बस खुद को बहलाने के लिए ऐसी बातें कहते हैं। . #yqdidi #yqbaba #hindi #love #यादें #भार #जिंदगी #1909avinash