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मेरी 'परी' (दीदी) आज पता नहीं बैठ बैठ एक ख्याल आय

मेरी 'परी' (दीदी)

आज पता नहीं बैठ बैठ एक ख्याल आया
क्या सच में होती है 'परी' या फिर माँ बचपन में कहती थी 
झूठ... 
 
मुझे फिर आया याद जानता हूं मैं भी एक 
परी को, जो हर पल रहती है साथ मेरे 
कभी बहुत प्यार करती है कभी बहुत गुस्सा करती है 
कभी रूठ जाती है कभी मनाती है.....

माँ कहूँ बहन कहूँ या दोस्त कहूँ 
हर रिश्ते को वो दिल से निभाती है 
डर लगता है अक्सर माँ की कहानियों में परी आकर 
चली जाती थी... 

मेरी परी भी कही चली गयी तो
हो जाऊँगा अकेला, मैं रह जाऊँगा तन्हा, 
मैं खुदा से करता हूँ गुजारिश चाहे छीन ले मुझसे मेरी
 हर खुशी..... 


                                 🙏मुझे दूर ना करे मेरी बहन से......

#Mř.ßhűkãl.                                                                         मेरी 'परी' (दीदी)
आज पता नहीं बैठ बैठ एक ख्याल आया
क्या सच में होती है 'परी' या फिर माँ बचपन में कहती थी झूठ... 
 
मुझे फिर आया याद जानता हूं मैं भी एक 
परी को, जो हर पल रहती है साथ मेरे 
कभी बहुत प्यार करती है कभी बहुत गुस्सा करती है 
कभी रूठ जाती है कभी मनाती है..
मेरी 'परी' (दीदी)

आज पता नहीं बैठ बैठ एक ख्याल आया
क्या सच में होती है 'परी' या फिर माँ बचपन में कहती थी 
झूठ... 
 
मुझे फिर आया याद जानता हूं मैं भी एक 
परी को, जो हर पल रहती है साथ मेरे 
कभी बहुत प्यार करती है कभी बहुत गुस्सा करती है 
कभी रूठ जाती है कभी मनाती है.....

माँ कहूँ बहन कहूँ या दोस्त कहूँ 
हर रिश्ते को वो दिल से निभाती है 
डर लगता है अक्सर माँ की कहानियों में परी आकर 
चली जाती थी... 

मेरी परी भी कही चली गयी तो
हो जाऊँगा अकेला, मैं रह जाऊँगा तन्हा, 
मैं खुदा से करता हूँ गुजारिश चाहे छीन ले मुझसे मेरी
 हर खुशी..... 


                                 🙏मुझे दूर ना करे मेरी बहन से......

#Mř.ßhűkãl.                                                                         मेरी 'परी' (दीदी)
आज पता नहीं बैठ बैठ एक ख्याल आया
क्या सच में होती है 'परी' या फिर माँ बचपन में कहती थी झूठ... 
 
मुझे फिर आया याद जानता हूं मैं भी एक 
परी को, जो हर पल रहती है साथ मेरे 
कभी बहुत प्यार करती है कभी बहुत गुस्सा करती है 
कभी रूठ जाती है कभी मनाती है..