भुखमरी की चौखट पर पड़ा देखा उसको लोग जिसे अन्नदाता कहते हैं बयान कर रहे थे फ्टे लिबास उसके की जख्म बहुत है मगर चुप रहते हैं जब देखा दृश्य आंखों ने मेरे हिन्दुस्तान के गांव का ना किसान मिला, ना बैल मिले, ना मिला वृक्ष कोई छांव का हर गाओं के सन्नाटे में कई जख्म पुराने गहरे थे जब पड़े कदम किसान के घर हर छत से जाले डह रहे थे एक टूटा हुआ सा हुका दिखा एक हल्ल मायूस सा पड़ा था ना रोनक थी कोई बच्चों की हर आंगन दुखों ने छड़ा था मैं वाकिफ हुआ उन हालातों से की क्यों किसान के आंसू बहते है भुखमरी की चौखट पर पड़ा देखा उसको लोग जिसे अन्नदाता कहते है बयान कर रहे थे फ्टे लिबास उसके की जख्म बहुत हैं मगर चुप रहते हैं किसान की जेब में आन्ना नहीं और दिन था खास त्योहार का बीवी बच्चे घर पर बठे इंतजार कर रहे उपहार का जब लोटा खाली हाथ शहर से बच्चों की आंख में पानी था फिर रोया काली रात मैं छिपकर पहाड़ टूट पड़ा हैरानी का ना रुचि कोई , ना सूची कोई दिन काट रहा बेखबरी से रूह कांप उठी,कलम रोने लगी हालात देख किसान कि टब्री के ना फिक्र हुआ,ना जिक्र हुआ जब बादशाह, नीलम किया कुछ नहलो नै पैर रखकर किसान कि गरदन पर वो बैठे है आज महलों में ना नीली छत से आस कोई ना रहा किसान का खास कोई बस लूट रहे सौदागर उसको वो बिना विकल्प के सहते है भुखमरी की चौखट पर पड़ा देखा वो लोग जिसे अन्नदाता कहते हैं बयान कर रहे थे फ्टे लिबास उसके, की जख्म बहुत हैं मगर चुप रहते हैं CheeNa ✍️ ©CheeNa Jaat ✍️ I support farmers 🙏🙏 No Farmer No food🙏🙏✍️✍️ #worldpostday