ये कैसी तन्हाई है, ये कैसा है मंज़र। भीड़ खड़ी है लाखों बगल में, मर रही फिर भी अपने ही भीतर।। प्रतियोगिता - 14 #vkpoetry #collabwithvkpoetry 🏵️ कैप्शन को ध्यानपूर्वक पढ़कर रचना करें 👇 ~ आप सभी का स्वागत है प्रतियोगिता में।