इश्क चलो आज दूरियांँ मिटाते हैं दोनों बाहों की आगोश में आते हैं जमाना क्या कर लेगा हमारा चलो आज इश्क को परवान चढ़ाते हैं जमाना कितने भी पहरा बिठाले आज इश्क के नाम पर कुर्बान हो जाना है ©DR. LAVKESH GANDHI #mohabbat # # चलो इश्क लड़ाते हैं #