बाल दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं शायर भुपेन्द्र लिखितकर खोल दे पिंजरा ,परिन्दा उड़ने को बेताब है आएगा बवंडर अभी फ़क़त तूफां का ऐहसास है क्या हुआ हुकूमत परवाह नही करती तेरी अगर उठ हो खडा और फिर चल, तुझे बुनना इतिहास है