बहुत बुरा लगता हैं जब हम बोलतें कुछ हैं और लोग सुन कुछ और लेते हैं बेगुनाही साबित करना कितना मुश्किल हैं न जब लोग आपको गुनाहगार मान ले जब आप प्यार की उम्मीद मे रहते हो और बिना कुछ किए सजा मिल जाए इन्सान हूँ चोट तो लगती ही हैं पर दुख मे भी मुस्कुराना सीख गई हूँ हाँ सच मे मैं हसना सीख गई हूँ.... बेगुनाही.....