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संवारा है फिर से मैंने मुझे, की अब तुझसे राबता नही

संवारा है फिर से मैंने मुझे,
की अब तुझसे राबता नही करना...।
कट जाएगी ज़िन्दगी तन्हाई में मगर,
अब मुझे सच्चा प्यार नही करना...।।

खयाल आते है अभी भी मगर,
अब उनमे पहले वाली बात नही...।
हा सुन लो अब जो कह रहा हूं मैं,
की मुझे तुझसे है प्यार नही...।।

समेट के रखा तुझे,बाहों में अपनी,
लेकिन उसका तूने ये सिला दिया...।
कि मेरे ईश्क के प्याले में,
ज़हर मिलाकर मुझे ही पिला दिया...।।

समझा था तुम्हे कि बहुत मासूम हो तुम,
अपना दिल निकाल कर तेरे नाम किया...।
भूल हो गयी परखने में तुम्हे,
जो पागलों की तरह बेशुमार प्यार किया...।। रूठी हुई ये ज़िन्दगी...।।
संवारा है फिर से मैंने मुझे,
की अब तुझसे राबता नही करना...।
कट जाएगी ज़िन्दगी तन्हाई में मगर,
अब मुझे सच्चा प्यार नही करना...।।

खयाल आते है अभी भी मगर,
अब उनमे पहले वाली बात नही...।
हा सुन लो अब जो कह रहा हूं मैं,
की मुझे तुझसे है प्यार नही...।।

समेट के रखा तुझे,बाहों में अपनी,
लेकिन उसका तूने ये सिला दिया...।
कि मेरे ईश्क के प्याले में,
ज़हर मिलाकर मुझे ही पिला दिया...।।

समझा था तुम्हे कि बहुत मासूम हो तुम,
अपना दिल निकाल कर तेरे नाम किया...।
भूल हो गयी परखने में तुम्हे,
जो पागलों की तरह बेशुमार प्यार किया...।। रूठी हुई ये ज़िन्दगी...।।
gautamamit8565

Gautam Amit

New Creator