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प्रेम आत्मा का प्रकाश है किंतु जब इसके रास्ते में

प्रेम आत्मा का प्रकाश है किंतु जब इसके रास्ते में माना जाता है तो प्रेम की विकृति कर देता है वर्तमान समय में मानवीय रिश्तो के बीच निस्वार्थ प्रेम बहुत कम देखने को मिलता है जीवन और रिश्ते के बीच एक इंसान स्वास्थ्य में फंसा हुआ दिखाई देता है स्वार्थ वर्ष किया गया प्रेम एक नाटक है प्रेम नहीं यह नाटक हर पल हमारे बीच खेला जाता है जब हमें किसी से कुछ पाना होता है तब हम उसके प्रति त्याग समर्पण और प्रेम का भाव दिखाते हैं किंतु जब हमारा कार्य संपन्न हो जाता है यथार्थ स्वार्थ पूरा हो जाता है तो हम उसे भुला देते हैं और हमारा त्याग समर्पण और प्रेम सब कुछ समाप्त हो जाता है वास्तविक और सच्चा प्रेम वही होता है जो स्वार्थ भाव से किया जाता निस्वार्थ प्रेम रिश्तो को आमंत्रित तो देता ही है साथ ही उसकी निर्धारित बनाए रखने में मानता भूमिका निभाता निस्वार्थ प्रेम का सबसे अच्छा उदाहरण एक मां है जहां चाहे किसी भी रूप में हो एक मनुष्य रूप में पशु पक्षियों ने जीवन के रूप में हो वह अपने बच्चे को अपने से अधिक निस्वार्थ भाव से प्रेम करती है

©Ek villain #Jeevan 

#Jeevan
प्रेम आत्मा का प्रकाश है किंतु जब इसके रास्ते में माना जाता है तो प्रेम की विकृति कर देता है वर्तमान समय में मानवीय रिश्तो के बीच निस्वार्थ प्रेम बहुत कम देखने को मिलता है जीवन और रिश्ते के बीच एक इंसान स्वास्थ्य में फंसा हुआ दिखाई देता है स्वार्थ वर्ष किया गया प्रेम एक नाटक है प्रेम नहीं यह नाटक हर पल हमारे बीच खेला जाता है जब हमें किसी से कुछ पाना होता है तब हम उसके प्रति त्याग समर्पण और प्रेम का भाव दिखाते हैं किंतु जब हमारा कार्य संपन्न हो जाता है यथार्थ स्वार्थ पूरा हो जाता है तो हम उसे भुला देते हैं और हमारा त्याग समर्पण और प्रेम सब कुछ समाप्त हो जाता है वास्तविक और सच्चा प्रेम वही होता है जो स्वार्थ भाव से किया जाता निस्वार्थ प्रेम रिश्तो को आमंत्रित तो देता ही है साथ ही उसकी निर्धारित बनाए रखने में मानता भूमिका निभाता निस्वार्थ प्रेम का सबसे अच्छा उदाहरण एक मां है जहां चाहे किसी भी रूप में हो एक मनुष्य रूप में पशु पक्षियों ने जीवन के रूप में हो वह अपने बच्चे को अपने से अधिक निस्वार्थ भाव से प्रेम करती है

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