a-person-standing-on-a-beach-at-sunset वो आया था मेरी जिन्दगी में एक बहार की तरह गुज़रा मेरा वक़्त खूबसूरत ख्वाब की तरह एक दिन.. दिल में मेरे इंतिज़ार की लौ जलायी और फ़िर चला गया लौट के भी न आएगा ये भी बता गया। दिल मेरा दर्द-ओ-ग़म से हो गया बेहाल तो लगा जैसे दरिया में समंदर ही समा गया बेशक वक़्त-ए-रुख्सत वो ख़ामोश था मगर होंठों का काँपना पूरा क़िस्सा जता गया ख़बर है मुझे उसकी बेबसी की उसने ख़ुद को तो दी ही थी सज़ा मेरी जिन्दगी को भी दुश्वार कर गया जिसके साथ सजाई थी मैंने मुख्तसर सी दुनियाँ डर के फ़िर दुनियाँ की ख़ुद गर्जी से जिन्दगी मेरी बियाबान बनाई और चला गया एक ख़ामोश शिकायत लिए आज भी इंतजार करता हूँ उसी शिद्दत से जो बचे हैं चंद पल इस जिंदगी के तेरी यादों के साए में बसर करता हूँ ©हिमांशु Kulshreshtha वो...