Unlock बंदिशों से हुए आजाद, फिर आजादी का जश्न मनाते हैं। मौत छूकर निकल गई फिर भी, गुरुर के कई रंग दिखलाते हैं।। सुकराना अदा कर उस मालिक का, जो जिंदगी तेरी महफूज करने आते हैं। घुट घुट कर जी रहा था, हर आती जाती सांसे गिन रहा था, शुक्र अदा तो कर उसका, जो सलामत तुझे रखते हैं।। चल उस राह पर जो राह तेरे लिए ठीक हो, संभल-संभल कर चल जहां समझना कठिन हो, मत देख दोबारा वह नजारे, जहां खौफ के समंदर बहते हैं। जिंदगी चाहिए लंबी तो छोड़ आजादी, चल थोड़ा पाबंदी के पहरे बैठाते हैं।। बंदिशों से हुए आजाद, फिर आजादी का जश्न मनाते है...... ©Yogendra Nath #Unlock2021#बंदिशों से हुए आजाद