शब्दों से खेलना, यूं तो आसां भी नहीं होता पर जब से तुमसे मिला हूं मैं, शब्दों का जादूगर सा बन चुका हूं,मैं जब भी तुम्हें देखता हूं मैं ना जाने कहां से शब्दों से शब्द मिलकर तुम्हारी ही तारीफ में शब्द निकलते चले जाते हैं! जितनी भी तुम्हारी तारीफ करता हूं तुम्हारी तारीफ में उतने ही ज्यादा नये रंग खिलते ही चले जाते हैं!! ©Shivani goyal तुम और मैं