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नमन मंच 🙏 अन्तःकरण अन्तःकरण की कोमल हिलोरे बोल

नमन मंच 🙏

अन्तःकरण

अन्तःकरण की कोमल हिलोरे 
बोल  अनगिनत  गुनगुनाती है ।

संवेदनाओं और भावनाओं की 
झर-झर   नदियां   बहाती  है ।

आखर-आखर सजाती जब वो 
कविता   का  रूप   बनाती है ।

भावों संग जब वाणी निकले 
अमृत- सुधा   बन  जाती  है ।

जीवन की अनंत धारा को 
निश्चित  स्वरुप दिखाती है ।

मन  के विप्लव  में  जब ये 
शांति-सुकून संग समाती है ।

ना जाने कितने प्रश्नों का 
उत्तर  स्वयं  समझाती है ।

साध-साध जब वेला निकले 
रंज  तब  उर  में  बसाती है ।

गीत-ग़ज़ल का सार बना फिर 
नव तरंगों का निर्माण कराती है ।

अवलेखा तब गर्मजोशी से 
कविता का  रूप बनाती है ।
Priyanka Singh

©Priyanka Panwar
  अन्तःकरण

अन्तःकरण #कविता

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