तमाशों से भरी इस दुनियाँ में हर इंसाँ बसएक तमाशा है जलते हैं दीप ख़ुशियों के फ़ैली सिर्फ़ हताशा है सितमगर है यही सितम भी है मसीहा बनकर कभी करती रहम भी यही अलग अलग रंगों में सजी ना जाने कितने धुनों में बजी अश्कों में मुस्कुराती है ये दुनियाँ रुलाती है कभी तो हँसाती है कभी. ©malay_28 #दुनियाँ