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मस्त सावन की अदभुत फुहार लागे बिन सजन घर में जीना

मस्त सावन की अदभुत फुहार लागे
बिन सजन घर में जीना बेकार लागे
सखियां सलेहर झूलन झूला जावै 
प्रेम के बरखा में तन मन भिगावै
अब सोलहो श्रृंगार सब उधार लागे
मस्त सावन की.....
सूना सूना घर लागे सून लगे अंगना
रूठ गया हाथों में पहनी जो कंगना
सारा वादा बलम का व्यापार लागे 
मस्त सावन की.....
बोले थे आयेंगे सावन में गोरी
रहिया निहारूं "सूर्य" बनके चकोरी
घंटी फोनवा की बिजली का तार लागे 
मस्त सावन की.....

©R K Mishra " सूर्य "
  #सावनकीबारिश  Rama Goswami Sethi Ji Richa Mishra Ashutosh Mishra Ayesha Aarya Singh