परछाई कभी वास्तविकता का रूप नही हो सकती धातुकर्म का नियम है की धातु को ढाल के कोई भी प्रतिमा या प्रतीक बिल्कुल मूलस्वरूप के जैसा हो ही नही सकता, जैसे नटराज की मूर्ति की प्रतिकृति धातु रूप मे ढाली जा सकती है किन्तु दूसरी नही बन सकती बामियान मे गंधार शैली की नष्ट हो चुकी प्रतिमाएँ धातु कर्म से फ़िर से बनायी जा सकती है लेकिन मूल रूप नही दुहराया जा सकता है। ईतनी साधारण सी बात पर बहस चल रही है कोई आक्रमक है तो कोई बचाव की मुद्रा मै है लेकिन सच यही है की कोई भी हजार दो हजार वर्ष पूर्व की पुरातत्व मह्तव की कृति की प्रतिकृति तो बन सकती है किन्तु मूलप्रति हूबहू नही। दर्जनो उदाहरण मिल जाएंगे। अपनी परछाईं से मिलना... #परछाईंसेमिलना #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi