सर्दियों का खुशनुमा सुबह का मौसम पत्तो पर ओस की बुन्दे। रसोई से अदरक, तुलसी की वो खुशबू, हाथों में जब प्याली वो गरमागरम चाय की आई, एक ही चुस्की ने जेहन में चेतना सी आई। आँखों से नींद का पर्दा हट गया, और देखते ही देखते जब , आखिरी घुट था मेरे प्याले में, वो चमकता सूरज अपनी आभा से, मेरे घर की खिड़की से आकर, मेरे तन से लिपट गया। चाय के साथ दिन और मिजाज, दोनों का ही मौसम बदल गया। कविता जयेश पनोत Good morning family ©Kavita jayesh Panot #सुबह की चाय