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"यावत्स्वस्थो ह्यय देहः तावन्मृत्युश्च दूरतः। तावद

"यावत्स्वस्थो ह्यय देहः तावन्मृत्युश्च दूरतः।
तावदात्महितं कुर्यात् प्रणान्ते किं करिष्यति॥"

अर्थात-"जब तक शरीर स्वस्थ है, तभी तक मृत्यु भी दूर रहती है। अतः तभी आत्मा का कल्याण कर लेना चाहिए। प्राणों का अन्त हो जाने पर क्या करेगा? केवल पश्चात्ताप ही शेष रहेगा।"

#wednesdayThoughts

©AAP TAK #vichar #thought #Sanskrit
"यावत्स्वस्थो ह्यय देहः तावन्मृत्युश्च दूरतः।
तावदात्महितं कुर्यात् प्रणान्ते किं करिष्यति॥"

अर्थात-"जब तक शरीर स्वस्थ है, तभी तक मृत्यु भी दूर रहती है। अतः तभी आत्मा का कल्याण कर लेना चाहिए। प्राणों का अन्त हो जाने पर क्या करेगा? केवल पश्चात्ताप ही शेष रहेगा।"

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nishantkumar1497

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