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कौन ठहरा है यहाँ सागर किनारे। हवाओं से, घटाओं

कौन ठहरा है यहाँ
     सागर किनारे।
हवाओं से, घटाओं से 
कहे ए दिल पुकारे।
क्या तुम वही हो 
जिसे मैंने बुलाया।
बदल कर बेष कोई और आया।।

©उमाकान्त तिवारी 'प्रचण्ड'  Rakesh Srivastava  gudiya  Noor Hindustani  Sarfraz Ahmad  Sh@kila Niy@z  Barkha  शायरी हिंदी
कौन ठहरा है यहाँ
     सागर किनारे।
हवाओं से, घटाओं से 
कहे ए दिल पुकारे।
क्या तुम वही हो 
जिसे मैंने बुलाया।
बदल कर बेष कोई और आया।।

©उमाकान्त तिवारी 'प्रचण्ड'  Rakesh Srivastava  gudiya  Noor Hindustani  Sarfraz Ahmad  Sh@kila Niy@z  Barkha  शायरी हिंदी