उलझा लिया है जिंदगी को हमने धागों की तरहा हर फूंक पे बज उठती है खाली साज़ों की तरहा कैसे कह दूँ कि अब वक्त नहीं मिलता वक़्त आँखों को खटकता है तकादों की तरहा।। सुनीता बिश्नोलिया ©Sunita Bishnolia #वक़्त #समय #रिश्ते