"आने दो माघ* --------------- आने दो माघ लगने दो कुंभ इस बार करूंगा मैं कल्पवास रखूंगा शनि-मंगल उपवास लगाऊंगा ढेरो डुबकियां खोलूंगा पापों की पुटकियां बहा दूंगा गंगा जी में हो जाऊंगा पवित्र,निर्मल,निष्पाप करूंगा मस्तियां;लूटूंगा बस्तियां चुपचाप लगाकर माथों पर लेप ढीली करूंगा जेब कराऊंगा हवन पूजा-पाठ चढ़ावा के नाम पर लूटपाट बनकर पंडा-पुजारी साधु-संत भिखारी कमाऊंगा अच्छा धन बनाऊंगा तन-बदन श्रद्धा के पाठ पर गंगा के घाट पर ©Narendra Sonkar *आने दो माघ*