दूर बहुत हो प्रिय तुम मुझसे मगर कभी ना दूरी का एहसास हुआ, गिरह दिलों की जिसमें बंधे दो दिल तुम पास हो मेरे ये आभास हुआ मेरे सनम कभी न दूरी का एहसास हुआ। निरंतर मधुर मिठास रहा इन रिश्तों में जिरह तो हुए बहुत दिलों में न खटास हुआ सब टूट जाए गिर ह दिलों की न टूटे कभी तुमसे मिले तो मुझको ये आभास हुआ मेरे सनम कभी न दूरी का एहसास हुआ। बंध गए बंधन में हो जैसे सदियों का नाता कोई तू और तेरी मधुर मुस्कान,इनके सिवा भाता न कोई दूर जाके भी तुमसे दूर जा न सके ये कैसी बन्धन तुझमें ही मेरी दुनिया कहीं गुम है ये महसूस हुआ मेरे सनम कभी न दूरी का एहसास हुआ।। ♥️ Challenge-702 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ आपका एक सबस्क्रिप्शन किसी के चेहरे पर मुस्कान ला सकता है। समूह को सब्सक्राइब कीजिए और ख़ुशियाँ बाँटिए :)