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#myvoice_mylines #Home Please Read full here.. घर

 #myvoice_mylines #Home 
Please Read full here..
घर कई दिनों के बाद एक महीना घर पे रुका, सोच कर आया था, एक हफ्ते में वापिस हो लूंगा। पर ऐसा कर ना सका।
शायद जरूरी था, इतना रुकना, लोगों की आस और उम्मीद का वरना कैसे पता चलता। कैसे पता चलता जिस उम्मीद का मैं अकेला चिराग हु, आज कल उसकी लव कम हो रही थी, शायद इसलिए घर से आज जाना एक बोझ लगने लगा था।

ट्रेन मे बैठे 2 जब खिड़की से बाहर देख रहा था, ऐसा प्रतीत हो रहा था, जैसे मेरे पीछे छूट रहे सभी घर, पेड़, खलिहान और नदियां मुझसे कह रहे हो, कब तक अपने सपनो के लिए अपनो से दूर रहोगे?? बस करो अब लौट आओ देश। पर साथ ही साथ कुछ चीज़ें मुझे मजबूत भी कर रही थी, हवाएं जो मुझे छू कर निकल रही थी बोल रही हो, ना, हिम्मत नही हारना, बस जोर लगाते रहो सब हिल जाएगा। और मैं धीरे 2 सब पीछे छोड़ रहा था।
एक महीना काफी लंबा वक्त था, जो मैंने बिताएं, आज जैसे लग रहा था कल की ही बात हो। जो लोग मेरे बोगी में थे, जैसे वो भी कह रहे हो, बाबू , मेहनत से जी मत चुराना, जिस सपने के लिए दूर जा रहे हो पूरा कर के ही आना।
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घर कई दिनों के बाद एक महीना घर पे रुका, सोच कर आया था, एक हफ्ते में वापिस हो लूंगा। पर ऐसा कर ना सका।
शायद जरूरी था, इतना रुकना, लोगों की आस और उम्मीद का वरना कैसे पता चलता। कैसे पता चलता जिस उम्मीद का मैं अकेला चिराग हु, आज कल उसकी लव कम हो रही थी, शायद इसलिए घर से आज जाना एक बोझ लगने लगा था।

ट्रेन मे बैठे 2 जब खिड़की से बाहर देख रहा था, ऐसा प्रतीत हो रहा था, जैसे मेरे पीछे छूट रहे सभी घर, पेड़, खलिहान और नदियां मुझसे कह रहे हो, कब तक अपने सपनो के लिए अपनो से दूर रहोगे?? बस करो अब लौट आओ देश। पर साथ ही साथ कुछ चीज़ें मुझे मजबूत भी कर रही थी, हवाएं जो मुझे छू कर निकल रही थी बोल रही हो, ना, हिम्मत नही हारना, बस जोर लगाते रहो सब हिल जाएगा। और मैं धीरे 2 सब पीछे छोड़ रहा था।
एक महीना काफी लंबा वक्त था, जो मैंने बिताएं, आज जैसे लग रहा था कल की ही बात हो। जो लोग मेरे बोगी में थे, जैसे वो भी कह रहे हो, बाबू , मेहनत से जी मत चुराना, जिस सपने के लिए दूर जा रहे हो पूरा कर के ही आना।

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