जो मेरा है ही नहीं,उसका इंतजार करती हूं।
आंखों में हो चाहे नमी,होठों पर मुस्कान रखती हूं!
दिल को खबर ही नहीं कौन किसका है,
फिर भी वही नादानी करती हूं।
सही हूं फिर भी खुद को साबित करती हूं!
रब से मिलने को सेतू बनाने की चाह रखती हूं।
धरती पर रह कर पत्थर को पाने की इच्छा रखती हूं।
कुछ यूं ही ढह जाती है एक जिंदगी, #Feeling#broken_heart#writers#my_words