White हवा स्पर्श कर बह उठती; फूल-संग मिल महक उठती। रात की गहराई में; चहक उठती है ये हवा। मृदा-सी ठहराव नही; समंदर को निकल पड़ती। परागों को संग ले; मधुबन को निकल पड़ती ये हवा। तिमिर का अब सब्र नही; बातें उछाल जाती ये हवा; कभी परेशां, कभी मित बन; सहला जाती जिंदगी ये हवा। ©Saurav life #Moon #Sauravlife