इश्क़ अक़्सर सराब की तरह आँखों का फ़रेब नज़र आता है, जैसे फ़लक से बादलों में घिरा हुआ आफ़ताब नज़र आता है। अक्स देख कर आईनें से कर ली थी दुश्मनीं हमनें, किससे कहूँ हाल-ए-दिल अहबाब बस ख़्वाब नज़र आता है। (सराब - मृगमरीचिका) (अहबाब - friend ) #आईना_और_अक्स_team_alfaz #new_challenge There is new challenge of poem/2 line/4 line in whatsapp group (link in bio) Today's Topic is