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तु मुझे ना मिली कोई बात नहीं, तेरी यादें काफी है ज

तु मुझे ना मिली कोई बात नहीं, तेरी यादें काफी है जिंदा रहने के लिए.....
 तू किसी और से मोहब्बत करती है करती रह......
 तेरा मुस्कुरा कर देखना मेरे लिए काफी है.......
 तुझसे मोहब्बत सच्ची थी मेरी शायद इसलिए मैं कह ना सका......
 मन ही मन मैं तुझे अपना मान चुका था, दोस्तों की महफिल में तेरे नाम से अपना नाम जोड़ चुका था......
 मेरे दोस्त मुझे मजनू कहते हैं मैं तुझे अपना लैला मान चुका था......
 बड़ी मोहब्बत है तुमसे मैं अपने दोस्तों से कह चुका था........
 मेरे दोस्त रोज कहते थे मुझसे देर न कर इश्क़ है तो इजहार कर.......
 मैं हर रोज डरता था, तुझसे कहने से इजहार-ए-इश्क़ करने से......
 कहीं तुम मुझसे रूठ ना जाए इस बात का डर हमेशा सताता था......
 तुझे छोड़कर कोई मेरी मोहब्बत को हर कोई समझता था........
 मैं बेइंतहा तुमसे मोहब्बत करता था मैं कैसे कहूं मैं तुम पर कितना मरता था.....
#aznabi_36✍
~vikas✍️

©Writer Vikas aznabi #8LinePoetry
तु मुझे ना मिली कोई बात नहीं, तेरी यादें काफी है जिंदा रहने के लिए.....
 तू किसी और से मोहब्बत करती है करती रह......
 तेरा मुस्कुरा कर देखना मेरे लिए काफी है.......
 तुझसे मोहब्बत सच्ची थी मेरी शायद इसलिए मैं कह ना सका......
 मन ही मन मैं तुझे अपना मान चुका था, दोस्तों की महफिल में तेरे नाम से अपना नाम जोड़ चुका था......
 मेरे दोस्त मुझे मजनू कहते हैं मैं तुझे अपना लैला मान चुका था......
 बड़ी मोहब्बत है तुमसे मैं अपने दोस्तों से कह चुका था........
 मेरे दोस्त रोज कहते थे मुझसे देर न कर इश्क़ है तो इजहार कर.......
 मैं हर रोज डरता था, तुझसे कहने से इजहार-ए-इश्क़ करने से......
 कहीं तुम मुझसे रूठ ना जाए इस बात का डर हमेशा सताता था......
 तुझे छोड़कर कोई मेरी मोहब्बत को हर कोई समझता था........
 मैं बेइंतहा तुमसे मोहब्बत करता था मैं कैसे कहूं मैं तुम पर कितना मरता था.....
#aznabi_36✍
~vikas✍️

©Writer Vikas aznabi #8LinePoetry