अभी , नींद से जागा ही था, की मेरी सांसों में घुली हुई तेरी सांसों की महक ने मदहोश कर दिया! तभी , तुम्हारी आवाज आती है, सुनो न! जल्दी से ब्रश कर लो, चाय रख दी बनने! सुनकर, मैं तकिये से, लिपट जाता हूँ! रुंधा हुआ गला, आसुओं से भीगी, लाल आंखें, सिसकियां लेता मन! बहुत मुश्किल है , तुमसे दूर रहना....! ©N. k. vyas #nkvyas सुमन