क्यूँ इन्तज़ार है तेरा!!! निकलूं जब इस शहर में,तुझे देखने भर की चाहत, जब भी खड़ी द्वारे,तेरी ही मन मे मूरत। क्यूँ नम है अंखिया,क्यू मुझको तेरी सी ज़रूरत। मैने देखा हर ख्वाब बस है तेरा,इस दिल मे बसा है वो एक चेहरा तेरा। मैंने थामा है यादों को तेरी,राते है देखो कितनी अधुरी। तुने दूरिया क्यूँ बढ़ा दी,मै तो हर दम ही थी बस तेरी। जाने कितने मिले दिल,पर दिल एक तुझसे ही जुड़ा था मेरा। जाने कितने थे वो लम्हे तेरे मेरे,और चाहा क्यू बस साथ तेरा। मुझे जाने क्यूँ है बस इंतज़ार तेरा। तू दूर मुझको खुद से कर रहा था,मेरा मन फिर भी क्यूँ तेरे खातिर मचल रहा था । तू मुझसे बन्धने को ना सही,पर मेरे इंतज़ार को हरने आजा। मेरे मन के द्वारे एक बार खुद को जुदा करने ही आजा। मेरे लम्हो को है जो तेरी प्यास उसे बुझाने ही आजा। है जो बस तेरा मुझे इंतज़ार, उस इन्तजार के खातिर ही आजा। क्यूँ इन्तज़ार है तेरा!!! निकलूं जब इस शहर में,तुझे देखने भर की चाहत, जब भी खड़ी द्वारे,तेरी ही मन मे मूरत। क्यूँ नम है अंखिया,क्यू मुझको तेरी सी ज़रूरत। मैने देखा हर ख्वाब बस है तेरा,इस दिल मे बसा है वो एक चेहरा तेरा। मैंने थामा है यादों को तेरी,राते है देखो कितनी अधुरी। तुने दूरिया क्यूँ बढ़ा दी,मै तो हर दम ही थी बस तेरी।