क्यूँ इन्तज़ार है तेरा!!!
निकलूं जब इस शहर में,तुझे देखने भर की चाहत,
जब भी खड़ी द्वारे,तेरी ही मन मे मूरत।
क्यूँ नम है अंखिया,क्यू मुझको तेरी सी ज़रूरत।
मैने देखा हर ख्वाब बस है तेरा,इस दिल मे बसा है वो एक चेहरा तेरा।
मैंने थामा है यादों को तेरी,राते है देखो कितनी अधुरी।
तुने दूरिया क्यूँ बढ़ा दी,मै तो हर दम ही थी बस तेरी।