कि अब फरियाद उनसे क्या करें जिनसे हम मोहब्बत बेशुमार करते हैं, बेशक मेरे हिस्से आये अश्क़ मेरे जानी हम दिल से दुआ तेरे आबाद होने की करते हैं, हाँ घर लौट आना जब भी महसूस हो एक बार फिर दुनिया ने तुम्हें ठग लिया, एक मां की ही तरह इस बार भी तुम्हारे कान पकड़ कर तुम्हें खुद से कसकर गले लगा लुंगी मैं रिश्ते आधे -पौने नहीं निभाती पर हाँ वक़्त और हालात दोनों के साथ जल्द ही ढल जाती हूँ,! 💚 © 'अल्प'