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लेकिन आजकल चेहरे पर जो सदा प्रसन्नता की झलक देखने

लेकिन आजकल चेहरे पर जो सदा प्रसन्नता की झलक देखने में आवे, वह नहीं दिखाई देती।

कभी प्रसन्नचित्त और कभी प्रश्नचित्त। दो प्रकार के हैं, एक हैं - जरा सा परिस्थिति आई तो प्रश्नचित्त - क्यों, क्या, कैसे, कब... यह प्रश्नचित्त और प्राप्ति स्वरूप सदा प्रसन्नचित्त होंगे।

दो प्रकार के हैं, एक हैं - जरा सा परिस्थिति आई तो प्रश्नचित्त - क्यों, क्या, कैसे, कब... यह प्रश्नचित्त और प्राप्ति स्वरूप सदा प्रसन्नचित्त होंगे।

©Shishir Rane
  $परमपिता_शिव_के_ईश्चरीय_
‌  अव्यक्त$महा-वाक्य$
shishirrane5370

Shishir Rane

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$परमपिता_शिव_के_ईश्चरीय_ ‌ अव्यक्त$महा-वाक्य$ #जानकारी

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