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मुझे परेशाँ देख, ख़ुद भी परेशाँ हो जाता है वो, रुल

मुझे परेशाँ देख, ख़ुद भी परेशाँ हो जाता है वो,
रुला कर मुझे, ख़ुद ही रो उठता है वो 

मेरे मायूस चेहरे को देख, ख़ुद मुरझा जाता है वो,
डाँट कर मुझे, ख़ुद को ख़ूब सुनाता है वो 

बीमार जो पड़ जाऊं कभी, बेचैन हो जाता है वो,
मेरे माथे को चूम, अपनी आग़ोश में सुलाता है वो

चुप चाप यूँ बैठी रहूँ, तो कुछ डर जाता है वो,
फिर छिपकर, गुदगुदी कर, ख़ूब हँसाता है वो

रूठ जाती हूँ जब उसकी ग़ैरमौजूदगी पर, तब हँस पड़ता है वो,
फिर मेरे गालों को खींच, मनाने की कोशिशें करता है वो

नज़रंदाज़ी में भी अपने अंदाज़ में 'प्यार' जता जाता है वो
इतनी 'फ़िक़्र' करता है मेरी, कि 'अपना मन मारकर' मुझसे ही 'दूर' रहता है वो "बोल दो न ज़रा, दिल में जो है छिपा,
मैं किसी से कहूँगी नहीं..." ~ अज़हर 

#प्यार #मोहब्बत #फ़िक़्र #yqbaba #yqdidi 
#drgpoems
Photo credits : zastavik.com
मुझे परेशाँ देख, ख़ुद भी परेशाँ हो जाता है वो,
रुला कर मुझे, ख़ुद ही रो उठता है वो 

मेरे मायूस चेहरे को देख, ख़ुद मुरझा जाता है वो,
डाँट कर मुझे, ख़ुद को ख़ूब सुनाता है वो 

बीमार जो पड़ जाऊं कभी, बेचैन हो जाता है वो,
मेरे माथे को चूम, अपनी आग़ोश में सुलाता है वो

चुप चाप यूँ बैठी रहूँ, तो कुछ डर जाता है वो,
फिर छिपकर, गुदगुदी कर, ख़ूब हँसाता है वो

रूठ जाती हूँ जब उसकी ग़ैरमौजूदगी पर, तब हँस पड़ता है वो,
फिर मेरे गालों को खींच, मनाने की कोशिशें करता है वो

नज़रंदाज़ी में भी अपने अंदाज़ में 'प्यार' जता जाता है वो
इतनी 'फ़िक़्र' करता है मेरी, कि 'अपना मन मारकर' मुझसे ही 'दूर' रहता है वो "बोल दो न ज़रा, दिल में जो है छिपा,
मैं किसी से कहूँगी नहीं..." ~ अज़हर 

#प्यार #मोहब्बत #फ़िक़्र #yqbaba #yqdidi 
#drgpoems
Photo credits : zastavik.com
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