ऊर्दू जैसी खूबसूरत और शामे - बनारस जैसी हसीं ल्फजो से बस फूल बरशे हैं तेरी तारीफ में, मेहबूब मिला हैं या खुद कुदरत #तारीफ-ए-महबूब