पल्लव की डायरी खूब घुटी पचपन बचपन की यारी बातो बातो में ही बन गये हम संस्कारी दादा दादी के अनुभवो से चल रही हमारे जीवन की गाड़ी मगर अब दौर बदचलन हो रहा है दादा दादी वृद्धाश्रम में बच्चे होस्टलों में पल रहे है पव क्लब की संस्कृति में भारत के संस्कार बलि चढ़ रहे है रिलेशन शिप में रहकर बन्धन पाणि संस्कार का भूल रहे है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #deargrandparents पब क्लब की संस्कृति में #deargrandparents