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कल चांद भी शरमा गया था, मेरे चांद को देखकर। गुस्से

कल चांद भी शरमा गया था,
मेरे चांद को देखकर।
गुस्से में जलता रहा
चांद भी रात भर।

©Nritya Gopal Every one has his own moon.
कल चांद भी शरमा गया था,
मेरे चांद को देखकर।
गुस्से में जलता रहा
चांद भी रात भर।

©Nritya Gopal Every one has his own moon.
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Nritya Gopal

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