क्यूँ तुम मुझसे इतना, अब दूर रहना चाहती हो। अपनी ही हरकतों में, मगरूर रहना चाहती हो। देख लिया है मैंने, तुम्हारी हर नाज़-ओ-वफ़ा। दूर रहकर मुझसे, तुम मशहूर रहना चाहती हो। इश्क़ की दुनिया के, सारे खेल तो तुम जानती हो। इस खेल में तुम शामिल, ज़रूर रहना चाहती हो। मोहरा मत बना लेना, मेरी चाहत को इस खेल का। क्यूँकि जीत के नशे में तुम, चूर रहना चाहती हो। सोच लो एक बार, फिर कहीं गलती न कर देना। छोड़कर मुझको, क्या तुम बेनूर रहना चाहती हो। मिलेगा न तुमको, कोई ऐसा चाहने वाला कहीं। मेरी बेपनाह मुहब्बत से, क्यूँ दूर रहना चाहती हो। चलो देख लो ठुकराकर, एक बार तुम चाहत मेरी। मेरी आशिक़ी से बचकर, बेकसूर रहना चाहती हो। होगा पछतावा एक दिन, जब तुम मुझको खो दोगी। क्यूँ इस गलती की वजह, तुम हुज़ूर रहना चाहती हो। ♥️ Challenge-887 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।