छाया देते और को , स्वयं गगन की छाँव । हाथों में . घट्टे पड़े , फटी बिवाई पाँव ॥ फटी बिवाई पाँव , नाव कर्मो की चढ़ते । स्वेद कणों से सींच , भाग्य को अपने गढ़ते ॥ निज श्रम के अनुरूप , नहीं मिलती है माया। कहलाते हैं श्रमिक ,परिश्रम जिनकी छाया ॥ जय श्री कृष्ण कृष्ण कुमार ' किशन ' खरचौला ,बाँसी - सिद्धार्थनगर । ©krishna #childlabour