हैरत में-हूँ इमान का बाजार देख के बिकते हुए लोग'और ख़रीदार देख के मैं एक कलमकार हूँ रोता है मेरा दिल रोटी के लिए भूंख को लाचार देख के संतरंज से भी गहरी है नेताओ चालें अफ़सोस है इस दौर का अख़बार देख के क्या होगा इससे ज्यादा जुल्म सोचता हूँ मैं जनता की जिदंगी को यूँ दुस्वार देख के सोंचा है कई बार कि सच झूठ की जंग हो पर डर रहा हूँ ज़हन के बिमार देख के #yqdidi#bhaiJan#हैरत#इमान#बाजार हैरान हूँ इमान का बाजार देख के बिकते हुए लोग'और ख़रीदार देख के मैं एक कलमकार हूँ रोता है मेरा दिल रोटी के लिए भूंख को लाचार देख के संतरंज से भी गहरी है नेताओ चालें