मैं फिर भी तुमको चाहूँगा, पुछ रही है साहील के लहरें कुछ सवाल उन्हें क्या जवाब दे पाऊंगा, अपनी ही मुहाब्बत का मे भला क्या गवाही दे पाऊंगा। ना समज साहील भी मेरे प्यार क्या समज पायेगा, रुठ भी जाए अगर मेरी सांसे मुझसे फिर भी मैं तुमको ही चाहुंगा।