झिलमिलाते हुए समंदर के पानी में मैंने आहुती बनकर देखा है। चढ़ती दीवारों पर परछाईं की रेखा बिलखती ज़िन्दगी के लिए दस्सी दस्सी को रोते देखा है। गुमान बहुत था उसे खुद पर कि यात्रा विकासोन्मुख होगी पर्यत्न भले ही कर ली उसने भर भर कर अनुभव मिल गये यथार्थ वही है ,रहेगा क्योंकि यही कुदरत का लेखा जोखा है।। ©Shilpa yadav #Pinnacle #Pinnacle #nojotohindi #nojotoenhlish #nojotonews ## RAVINANDAN Tiwari Sudha Tripathi