Nojoto: Largest Storytelling Platform

पहचान कौन ? विशेष नीचे कैप्शन में... आप किसी इंसान

पहचान कौन ?
विशेष नीचे कैप्शन में... आप किसी इंसान से आकर्षित होते हो तो सबसे पहले अपने विवेक पर ताला लगा देते हो। याद रहे विवेक को सुलाये बगैर आप किसी से आकर्षित हो ही नही सकते। ऐसी स्थिति में आप उस दूसरे व्यक्ति के असल रूप को नही जान पाते और धोखा खा जाते हो। आजकल की दोस्ती या यूँ  फिर यूँ कहें तो उसका प्रेम भी High tech सा हो गया है। लोग अंजान लोगों से भी आकर्षित या प्रेम मय हो जाते हैं, जो कि कभी कभी आपके जीवन को आपकी खुशियों को नष्ट कर देता है। इस धोखे से बचने के लिए वक्त ने कुछ बताया है जो मैं आप सबको बताता हूँ। जब कभी भी और जिस किसी से भी आप आकर्षित हों उसे गुस्सा दिला दे, एक बार नही बार बार गुस्सा दिलाये,  उसकी कमियों को जिक्र करते हुए उसे एक साधारण सा इंसान दिखाने का प्रयास करें, क्योंकि जब आप किसी से आकर्षित होते हो तो दूसरे भी आपसे आकर्षित होने की कामना रखता है। ज्यादातर लोग लगातार दो तीन बार क्रोधित होने पर ही अपने असल रूप में आ जाते हैं। कुछेक ऐसे भी होते हैं जो दस बार क्रोधित होने पर भी अपने शब्दों पर से नियंत्रण नही खोते। आपकी दोस्ती के लायक भी ऐसे ही लोग होते हैं। क्रोध मे ही आपका असल इम्तिहान होता है, और क्रोध में ही आप किसी को परख सकते हो। आपकी शिक्षा का, आपके संस्कारों का, आपके अखंड अध्यात्म का और आपके अध्यात्मिक ढकोसले का भी इम्तिहान होता है। मेरा शुरू से मानना रहा है कि अगर किसी के असल रूप को देखना हो तो उसको क्रोधित कर दो। वो एक क्षण में ही अपने असल रूप में आ जायेगा। क्रोधी अवस्था में ही आप उसे बाहर और भीतर एक सा पाओगे, अन्यथा आप उस इंसान के सिर्फ नाटकीय रूप को ही सत्य मान बैठे हो। हम सब नाटक कर रहे हैं। जबकि क्रोध में ही हम अपने असल रूप में आते हैं।
मेरे एहसास केवल अध्यात्म
पहचान कौन ?
विशेष नीचे कैप्शन में... आप किसी इंसान से आकर्षित होते हो तो सबसे पहले अपने विवेक पर ताला लगा देते हो। याद रहे विवेक को सुलाये बगैर आप किसी से आकर्षित हो ही नही सकते। ऐसी स्थिति में आप उस दूसरे व्यक्ति के असल रूप को नही जान पाते और धोखा खा जाते हो। आजकल की दोस्ती या यूँ  फिर यूँ कहें तो उसका प्रेम भी High tech सा हो गया है। लोग अंजान लोगों से भी आकर्षित या प्रेम मय हो जाते हैं, जो कि कभी कभी आपके जीवन को आपकी खुशियों को नष्ट कर देता है। इस धोखे से बचने के लिए वक्त ने कुछ बताया है जो मैं आप सबको बताता हूँ। जब कभी भी और जिस किसी से भी आप आकर्षित हों उसे गुस्सा दिला दे, एक बार नही बार बार गुस्सा दिलाये,  उसकी कमियों को जिक्र करते हुए उसे एक साधारण सा इंसान दिखाने का प्रयास करें, क्योंकि जब आप किसी से आकर्षित होते हो तो दूसरे भी आपसे आकर्षित होने की कामना रखता है। ज्यादातर लोग लगातार दो तीन बार क्रोधित होने पर ही अपने असल रूप में आ जाते हैं। कुछेक ऐसे भी होते हैं जो दस बार क्रोधित होने पर भी अपने शब्दों पर से नियंत्रण नही खोते। आपकी दोस्ती के लायक भी ऐसे ही लोग होते हैं। क्रोध मे ही आपका असल इम्तिहान होता है, और क्रोध में ही आप किसी को परख सकते हो। आपकी शिक्षा का, आपके संस्कारों का, आपके अखंड अध्यात्म का और आपके अध्यात्मिक ढकोसले का भी इम्तिहान होता है। मेरा शुरू से मानना रहा है कि अगर किसी के असल रूप को देखना हो तो उसको क्रोधित कर दो। वो एक क्षण में ही अपने असल रूप में आ जायेगा। क्रोधी अवस्था में ही आप उसे बाहर और भीतर एक सा पाओगे, अन्यथा आप उस इंसान के सिर्फ नाटकीय रूप को ही सत्य मान बैठे हो। हम सब नाटक कर रहे हैं। जबकि क्रोध में ही हम अपने असल रूप में आते हैं।
मेरे एहसास केवल अध्यात्म
amaranand9347

Amar Anand

New Creator

आप किसी इंसान से आकर्षित होते हो तो सबसे पहले अपने विवेक पर ताला लगा देते हो। याद रहे विवेक को सुलाये बगैर आप किसी से आकर्षित हो ही नही सकते। ऐसी स्थिति में आप उस दूसरे व्यक्ति के असल रूप को नही जान पाते और धोखा खा जाते हो। आजकल की दोस्ती या यूँ फिर यूँ कहें तो उसका प्रेम भी High tech सा हो गया है। लोग अंजान लोगों से भी आकर्षित या प्रेम मय हो जाते हैं, जो कि कभी कभी आपके जीवन को आपकी खुशियों को नष्ट कर देता है। इस धोखे से बचने के लिए वक्त ने कुछ बताया है जो मैं आप सबको बताता हूँ। जब कभी भी और जिस किसी से भी आप आकर्षित हों उसे गुस्सा दिला दे, एक बार नही बार बार गुस्सा दिलाये, उसकी कमियों को जिक्र करते हुए उसे एक साधारण सा इंसान दिखाने का प्रयास करें, क्योंकि जब आप किसी से आकर्षित होते हो तो दूसरे भी आपसे आकर्षित होने की कामना रखता है। ज्यादातर लोग लगातार दो तीन बार क्रोधित होने पर ही अपने असल रूप में आ जाते हैं। कुछेक ऐसे भी होते हैं जो दस बार क्रोधित होने पर भी अपने शब्दों पर से नियंत्रण नही खोते। आपकी दोस्ती के लायक भी ऐसे ही लोग होते हैं। क्रोध मे ही आपका असल इम्तिहान होता है, और क्रोध में ही आप किसी को परख सकते हो। आपकी शिक्षा का, आपके संस्कारों का, आपके अखंड अध्यात्म का और आपके अध्यात्मिक ढकोसले का भी इम्तिहान होता है। मेरा शुरू से मानना रहा है कि अगर किसी के असल रूप को देखना हो तो उसको क्रोधित कर दो। वो एक क्षण में ही अपने असल रूप में आ जायेगा। क्रोधी अवस्था में ही आप उसे बाहर और भीतर एक सा पाओगे, अन्यथा आप उस इंसान के सिर्फ नाटकीय रूप को ही सत्य मान बैठे हो। हम सब नाटक कर रहे हैं। जबकि क्रोध में ही हम अपने असल रूप में आते हैं। मेरे एहसास केवल अध्यात्म