सुनो! जबसे तुमसे इश्क़ हुआ हम संवरने लगे हम आपकी रोशनी में नहाए और निखरने लगे मेहंदी तेरे नाम की अपने हांथों में सज़ा लेते हैं अपनी पलकों में तुम्हें काजल सा लगाने लगे तुमसे ही श्रृंगार सारे तुमसे बसंत जीवन में है ये तन का उपवन तेरा मन चंदन बरसाने लगे!! 🌝प्रतियोगिता-43 🌝 ✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️ 🌷" मेहंदी तेरे नाम की"🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I