वो कहते गये अलिशान गाडीयों में बैठकर तुम रास्ते पर उतरे,उनकी बातों में आकर कही तोड़फोड़,कही हिंसा इसमें ही जुट गया इन्सान होकर भी 'इन्सानियत' को मिटा दिया... खून के छींटे भी धरती पर क्या रंग लाये है हिंदू-मुस्लिम-सिख-ईसाई एक ही लाल रंग में समाये है कर दिखाओ अलग इसमें कौनसा खून तुम्हारा है तेरी मेरी के इस जंग में घर तेरा भी उजड़ गया इन्सान रहा बाकी 'इंन्सानीयत'को लुटा दिया... भुल चूक माफ निदा फ़ाज़ली सरजी 🙏🏻🙏🏻 आइए कुछ लिखते हैं। मेरी पंक्ति के साथ अपनी पंक्तियाँ जोड़ें... ( ग़ज़ल ) #ग़ज़ल #ग़ज़ल_अभ्यास #निदाफ़ाज़ली #yqdidi #yqbaba